किसी टूटी हुई कश्ती का किनारा बनके ,
बस गए वो मेरे पलकों पर आशियाँ बनके
हमने तो समझ रक्खा था पतझड़ों को मुकद्दर अपना ;
और आप बरसे हैं घटा बनके।
बस गए वो मेरे पलकों पर आशियाँ बनके
हमने तो समझ रक्खा था पतझड़ों को मुकद्दर अपना ;
और आप बरसे हैं घटा बनके।
Kisi tuti hui kashti ka kinara banke,
Bas gaye wo mere palkon par ashiyaan banke,
Hamne to samajh rakhha tha patjhadon ko mukaddar apna ;
Aur aap barse hain ghata banke.
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