बिछड़े हैं जबसे तुमसे ,तुम्हें याद करते हैं। ए-खुदा मिले कभी हम, फ़रियाद करते हैं। पलकें कभी उठाना ,पलकें कभी झुकाना ,, उलझन में जैसे खुदसे सवाल करते हैं ;; ए-खुदा मिले कभी हम फ़रियाद करते हैं। चाँद का फलक पे आना ,आकर हमें सतना ; सागर में आके लहरें जैसे चाँद करते हैं ;; ए-खुदा मिले कभी हम फ़रियाद करते हैं। ''''शायरी '''' उनकी हर शोख -अदा परेशान करती है ! चाहते हैं कह दे उनसे ,पर हर कोशिश नाकाम होती है। कैसे उन्हें भुलाएं, कह भी कभी न पाएं,, ये जुबान भी मुझसे धोके बार-बार करती है ए-खुदा मीलें कभी हम फ़रियाद करते ...